किसी ने हज़रत याक़ूब अ. स. से पूंछा , "ऐ रोशन दिल , अक़्लमंद बुज़ुर्ग । तूने अपने बेटे के कुर्ते की खुशबु थो मिस्र में सूंघ ली। उसको कन'आ के कुए में तलाश क्यों नहीं किया ?"
हज़रत याक़ूब अ. स. ने जवाब दिया ," हमारा हाल कौंधने वाली बिजली का - सा है। एक पल में चमक और दूसरे पल में अँधेरा। कभी थो मैं इतनी ऊंचाई पर होता हू , मानो किसी ऊँचे बालाखाने पर बैठा हूँ और कभी इतने निचे गिरा हुआ होता हूँ की मुझे अपने पैर तक दिखाई नहीं देते। अगर फ़क़ीर एक ही हाल में रह सकता , तो वह दोनों दुनियाओं से पर होता। "
हज़रत याक़ूब अ. स. ने जवाब दिया ," हमारा हाल कौंधने वाली बिजली का - सा है। एक पल में चमक और दूसरे पल में अँधेरा। कभी थो मैं इतनी ऊंचाई पर होता हू , मानो किसी ऊँचे बालाखाने पर बैठा हूँ और कभी इतने निचे गिरा हुआ होता हूँ की मुझे अपने पैर तक दिखाई नहीं देते। अगर फ़क़ीर एक ही हाल में रह सकता , तो वह दोनों दुनियाओं से पर होता। "
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