हज़रात मुहम्मद स. अ. के एक मित्र हज़रत अबु हरीश र. अ. रोज़ उनसे मिलने आते थे।
एक दिन आप स. अ. व. ने फ़रमाया ,''ऐ अबु हरीश तुम रोज़ मत आया करो।
मैं चाहता हू की हमारी , मुहब्बत बढ़ती रहे।
(शेख सादी - गुलिस्ताँ )
एक दिन आप स. अ. व. ने फ़रमाया ,''ऐ अबु हरीश तुम रोज़ मत आया करो।
मैं चाहता हू की हमारी , मुहब्बत बढ़ती रहे।
(शेख सादी - गुलिस्ताँ )
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