मेरे प्रिय दोस्तों
अस्स्सलामु अलय्कुम
हम ईसा मसीह के बारे में क्या सोचते है?
मुसलमान ईसा अ. स. का आदर करते है तथा उन से श्रध्दा रखते है। वे उन्हें मानव जाति के एक महान पैग़म्बर के रूप में जानते है। क़ुरआन उनके पाक जन्म की बात की पुष्टि करता है और मरीयम नामी एक पूरी सूरत ईसा अ. स. के नाम से है।
जब फरिश्तों ने कहा ,-
"ऐ मरीयम ! तुझे अल्लाह अपने एक कलिमा की खुशखबरी देता है जिसका नाम मसीह है जो दुनिया और आख़िरत में सम्मानित है और वह मेरे करीबियों में से है। वह लोगों से पालने में बात करेगा और अधेड़ आयु में भी , और वह नेको में से होगा।
मरियम कहने लगी , मेरे रब ! मुझे लड़का कैसे होगा ?
जबकि मुझे किसी मर्द ने छुआ भी नहीं है।
फ़रिश्ते ने कहा , इसी तरह अल्लाह जो चाहे पैदा करता है , जब कभी वह किसी काम को करना चाहता है थो सिर्फ कह देता है , हो जा , थो वह हो जाता है। "
(क़ुरआन ,३ )
चमत्कारिक रूप से ईसा अ. स. का जन्म अल्लाह के आदेश पर हुआ ,
उसी आदेश पर जिस पार्ट आदम अ. स. का बिना माता- पिता के जन्म हुआ था।
-अल्लाह के नज़दीक ईसा अ. स. का वही स्थान है जो आदम का है , उन्होंने उन्हें मिटटी से जन्म दिया और फिर उनसे कहा - हो जा- और वो पैदा हो गए -
अपने पैग़म्बरी के मिशन के दौरान उन्होंने कई चमत्कार किए।
अल्लाह ने हमें बताया की ईसा ने कहा :
" और वह इस्राईल की औलाद का रसूल होगा की मैं तुम्हारे पास तुम्हारे रब की निशानी लाया हू , मैं तुम्हारे लिए पक्षी के रूप के ही तरह का मिटटी की चिड़िया बनता हू , फिर उसमे फूंक मारता हू तो
वह अल्लाह के आदेश से पक्षी बन जाता है और मैं अल्लाह के आदेश से पैदाइशी अंधे को और कोढ़ी को अच्छा कर देता हूँ और मुर्दा को ज़िंदा कर देता हूँ और जो कुछ भी तुम खाओ और जो कुछ भी तुम अपने घरो में जमा करो मैं तुम्हे बता देता हॊन…… (क़ुरआन )
मुसलमानो का ईमान है की ईसा अ. स. को सलीब पर नहीं चढ़ाया गया था। दुश्मनो की चाल थी की ईसा अ. स. को सलीब पर चढ़ाया जाये परन्तु अल्लाह ने उन्हें बचा लिया और उन्हें आसमान पर उठा लिया। ईसा अ. स. के दुश्मनो ने उस आदमी को ईसा अ. .स. समझकर फांसी पर लटका दिया।
अल्लाह ने कहा -
- और उनके यह कहने की वजह से की हमने मसीह इब्ने मरियम ईसा अ. स. अल्लाह के रसूल को क़त्ल कर दिया , हालांकि न थो उन्होंने क़त्ल किया न उन्हें फांसी दी लेकिन उनके लिए शबीह बना दिया गया
(उन्हें भर्मित कर दिया गया ) - (क़ुरआन)
न ही मुहम्मद स.अ. और न ही ईसा अ. स. इस दुनिया में एक ईश्वर को बदलने आये, बल्कि वो इस सिद्धांत की पुष्टि करने के लिए आये हैं।
आपका भाई - ब्रदर सद्दाम हुसैन
अस्स्सलामु अलय्कुम
हम ईसा मसीह के बारे में क्या सोचते है?
मुसलमान ईसा अ. स. का आदर करते है तथा उन से श्रध्दा रखते है। वे उन्हें मानव जाति के एक महान पैग़म्बर के रूप में जानते है। क़ुरआन उनके पाक जन्म की बात की पुष्टि करता है और मरीयम नामी एक पूरी सूरत ईसा अ. स. के नाम से है।
जब फरिश्तों ने कहा ,-
"ऐ मरीयम ! तुझे अल्लाह अपने एक कलिमा की खुशखबरी देता है जिसका नाम मसीह है जो दुनिया और आख़िरत में सम्मानित है और वह मेरे करीबियों में से है। वह लोगों से पालने में बात करेगा और अधेड़ आयु में भी , और वह नेको में से होगा।
मरियम कहने लगी , मेरे रब ! मुझे लड़का कैसे होगा ?
जबकि मुझे किसी मर्द ने छुआ भी नहीं है।
फ़रिश्ते ने कहा , इसी तरह अल्लाह जो चाहे पैदा करता है , जब कभी वह किसी काम को करना चाहता है थो सिर्फ कह देता है , हो जा , थो वह हो जाता है। "
(क़ुरआन ,३ )
चमत्कारिक रूप से ईसा अ. स. का जन्म अल्लाह के आदेश पर हुआ ,
उसी आदेश पर जिस पार्ट आदम अ. स. का बिना माता- पिता के जन्म हुआ था।
-अल्लाह के नज़दीक ईसा अ. स. का वही स्थान है जो आदम का है , उन्होंने उन्हें मिटटी से जन्म दिया और फिर उनसे कहा - हो जा- और वो पैदा हो गए -
अपने पैग़म्बरी के मिशन के दौरान उन्होंने कई चमत्कार किए।
अल्लाह ने हमें बताया की ईसा ने कहा :
" और वह इस्राईल की औलाद का रसूल होगा की मैं तुम्हारे पास तुम्हारे रब की निशानी लाया हू , मैं तुम्हारे लिए पक्षी के रूप के ही तरह का मिटटी की चिड़िया बनता हू , फिर उसमे फूंक मारता हू तो
वह अल्लाह के आदेश से पक्षी बन जाता है और मैं अल्लाह के आदेश से पैदाइशी अंधे को और कोढ़ी को अच्छा कर देता हूँ और मुर्दा को ज़िंदा कर देता हूँ और जो कुछ भी तुम खाओ और जो कुछ भी तुम अपने घरो में जमा करो मैं तुम्हे बता देता हॊन…… (क़ुरआन )
मुसलमानो का ईमान है की ईसा अ. स. को सलीब पर नहीं चढ़ाया गया था। दुश्मनो की चाल थी की ईसा अ. स. को सलीब पर चढ़ाया जाये परन्तु अल्लाह ने उन्हें बचा लिया और उन्हें आसमान पर उठा लिया। ईसा अ. स. के दुश्मनो ने उस आदमी को ईसा अ. .स. समझकर फांसी पर लटका दिया।
अल्लाह ने कहा -
- और उनके यह कहने की वजह से की हमने मसीह इब्ने मरियम ईसा अ. स. अल्लाह के रसूल को क़त्ल कर दिया , हालांकि न थो उन्होंने क़त्ल किया न उन्हें फांसी दी लेकिन उनके लिए शबीह बना दिया गया
(उन्हें भर्मित कर दिया गया ) - (क़ुरआन)
न ही मुहम्मद स.अ. और न ही ईसा अ. स. इस दुनिया में एक ईश्वर को बदलने आये, बल्कि वो इस सिद्धांत की पुष्टि करने के लिए आये हैं।
आपका भाई - ब्रदर सद्दाम हुसैन
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